
ताजपुर,बिधूना । बिधूना क्षेत्र के ग्राम ताजपुर में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा में आचार्य आशुतोष मिश्रा जी ने पांचवे दिन भक्तों को कथा का रसपान कराया जिसमें दशरथ जी के घर विश्वामित्र जी आए और दशरथ जी से कहा मुझे तुमसे कुछ चाहिए दशरथ जी बोले जी मांगो क्या चाहिए आपको विश्वामित्र जी बोले मुझे राम और लक्ष्मण देदो दशरथ जी ने कहा आप हमें ले चलो मेरा राजपाट लेलो लेकिन राम को न मांगो तो दशरथ जी के गुरु जी ने कहा देदो दशरथ विश्वामित्र जी राम और लक्ष्मण को लेकर चले आते वही आचार्य मिश्र ने कहा कि रावण ने शंकर जी से धनुष मागा ये धनुष हमे देदो तो शंकर जी ने कहा ले जाओ लेकिन इस धनुष को जहां रख दोगे दुबारा उठेगा नहीं रावण धनुष लेके चल दिया रस्ते में उसे पेशाब लगी तो उसने धनुष को शंकर जी के जो गढ़ थे उन्हें पकड़ा दिया उन्होंने उठा कर धनुष जनक पूरी में रख दिया वही माता सीता ने सफाई करते समय धनुष को बाय हाथ से उठाकर नीचे सफाई करके रख दिया ये दृश्य जनक जी ने देखा तो उन्होंने उसी दिन घोषणा कर दी कि यह धनुष जो तोड़ेगा उसी से सीता का विवाह कर देंगे और सीता स्वाम्बर का निमंत्रण भेजा सभी को तो विश्वामित्र जी वह लेकर जनक पूरी के लिए निकले रास्ते में पत्थर की बनी अहिल्या को पैर लगकर तारा

पहुंचे जनक पूरी विश्वामित्र जी ने जनक जी से राम और लक्ष्मण का परिचय कराया और स्वयंवर में एक एक करके किसी राजा ने धनुष नहीं उठा पाया ये देखकर जनक जी बहुत विचलित हुए कहा क्या धरती वीरों से खाली है किसी ने धनुष नहीं उठा पाया मुझे पता होता तो मैं प्रतिज्ञा ही नहीं करते। ये सुनकर लक्ष्मण जी उठे और बोले जनक जी ये शब्द न बोलो कि धरती वीरों से खाली है राम जी ने लक्ष्मण को शांत कर बिठाया और विश्वामित्र जी ने राम जी को आदेश दिया उठो राम और जिस कार्य के लिए आए वो कार्य पूरा करो राम जी ने गुरु जी को प्रणाम करके धनुष को तोड़ दिया सीता जी ने राम जी के गले में माला डाल दी की कथा का भक्तों को रसपान कराया। इस अवसर पर परीक्षित मनोज कुमार सिंह,रवि सिंह,राकेश सिंह,सौरभ सिंह,ऋषि सिंह ,अवधेश अवस्थी,राज राजावत,छोटू सेंगर,राजा सेंगर,सत्यम सिंह,मुकेश कुमार सिंह, सोनू सेंगर, आदि सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।





